Baal Vikas pushtahar vibhag में क्या बच्चों को क्या क्या मिलता है ?

         बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार की योजना में बच्चों को मिलने वाला राशन घोटाले की भेंट चढ़ रहा है । Baal Vikas pushtahar vibhag योजना के बारे में पूरी जानकारी । 

  • बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार, विभाग के लाभ क्या क्या हैं?बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग और बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग एक ही होता है ।

बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार, विभाग
बाल विकास 


      सबसे पहले तो आज की पोस्ट में आपको बताएँगे बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग में बाल विकास के लिए वितरित होने वाली सामिग्री और गर्भवती महिलाओं के लिए पोस्टिक सामिग्री जो लोगों तक पहुंचानी चाहिए उसमें से कितनी वितरित की जाती है? बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग में वितरित की जाने वाली सामिग्री क्या है ? लेकिन लोगों को बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग योजना की सामिग्री मिलती कितनी है? इस तरह के लाखों सवाल खड़े हो सकते हैं। आप जिस क्षेत्र में रहते हैं वहाँ भी वही हाल है । हम जहाँ रहते हैं वहाँ भी वही हाल है । बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग में घोटाले हो रहे हैं, घोटाले किस तरह हो रहे हैं? इसी को क्रम से समझाने की कोसिस करते हैं । लेकिन उससे पहले बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग की योजना के बारे में समझते हैं जो बेहद जरुरी है। 


     कोई भी व्यक्ति कुछ भी कहता रहे उसकी बात को बिना समझे सहमति देना गलत है । गाँव या शहर कहीं के लोग आपस में बातें करने लगते हैं एक बच्चे को 5 किलो राशन 1किलो घी कहीं ये कहीं बो मिलता है । ऐसा नहीं है भारत में कोई भी सरकारी विभाग है जो भी योजना होती है उसका प्रतिव्यक्ति लाभ कितना मिलना है या फिर लाभार्थी के लिए क्या प्रावधान होता है? यह सभी जानकारी उस विभाग की ऑफिसियल वैबसाइट पर मिल जाती है । 

     हालंकि कुछ फर्क हो सकता है विभाग के बजट के बाद यदि कोई राज्यसरकार अलग से उसी में और रासन पानी मिलाकर थोड़ा ज्यादा लाभ दे देती है बो बात अलग है । या फिर विभाग के द्वारा बनाये गये बजट से कम मिल रहा है तो उसी विभाग के विभागीय समूह में सामिल लोग मिलजुलकर खा पी रहे हैं । राज्यसरकार भी अपने घर से नहीं देती है इधर का उधर करके दे दिया जाता है । अगर कोई राज्यसरकार पूरा अपना ही क्रेडिट लेती है तो यह राजनीतिक विषय है जिसके बारे में इस पोस्ट पर लिखने की अवश्यकता नहीं है ।

   बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग उत्तर प्रदेश में क्या क्या मिलता है?

विभाग और सरकार की तरफ से जो भी सामिग्री हो लेकिन जो मिल रहा है वह इस प्रकार है।

6 माह से 3 वर्ष तक के बच्चे को  

  • 1 KG गेंहू का दलिया
  • 1 KG चने की दाल
  • 1 लीटर रिफाइंड आयल

         यही सामिग्री गर्भवती महिला के लिए भी है। विभाग की वैबसाइट के अनुसार सामिग्री प्रतिमाह मिलनी चाहिए लेकिन यह सामिग्री लाभार्थी को 3 माह कभी दो माह के अंतराल में मिलती है। और कभी कभी रिफाइंड आयल नहीं मिलता है।

3 वर्ष से 6 वर्ष तक के बच्चे को

  • 500 ग्राम गेंहू का दलिया
  • 500 ग्राम चने की दाल।

यही सामिग्री 1 वर्ष तक गर्भ के बाद वाली महिला को मिलती है।

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        विभाग के अनुसार यह सामिग्री प्रतिमाह वितरित होनी चाहिए लेकिन यह सामिग्री 2 माह कभी 3 माह में वितरित की जाती है। बीच में बची हुयी सामिग्री कहा जाती है यह बात आप भी समझ सकते हैं।

      विभाग के अनुसार क्या मिलता है जानना चाहते हैं तो इस लिंक पर क्लिक करें Click To Read । हालांकि इस लिंक पर उत्तर प्रदेश  का डाटा लेकिन प्रत्येक प्रदेश की समान सामिग्री ही है थोड़ा बहुत अंतर हो सकता है।



       बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग का उद्देश्य क्या हैं?

      बाल विभाग सेवा एवं पुष्टाहार विभाग का उद्देश्य है नवजात शिशु की अच्छी सेहत और साथ में 6 वर्ष तक के बच्चों की सेहत व गर्भवती महिलाओं के खान पान का अच्छा खयाल रखना । बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग योजना का उद्देश्य है जननी सुरक्षा, नवजात शिशु की मृत्युदर कम करना, योजना का उद्देश्य है 6 वर्ष तक बच्चों को जरुरत भर केलोरी मिलेगी तो उसका सेहत वाला भविष्य अच्छा रहेगा । जो बचपन से ही कुपोषण का शिकार हो जाता है बो फिर सारी जिंदगी अच्छी सेहत के लिए तरस जाता है ।


  बाल विकास अधिकारी का नंबर । 

        बाल विकास अधिकारी हर क्षेत्र के लिए अलग अलग होते हैं। इसलिए सरकार ने एक हेल्पलाइन 18001805555 टोल फ्री नंबर  जारी किया है जिसपर आप अपनी सूचना और शिकायत कर सकते हैं। इस नंबर पर कॉल करने से आप अपने क्षेत्र की शिकायत या सूचना देंगे तो आपके क्षेत्रीय अधिकारी के पास सूचना कार्यालय के द्वारा कर डी जाएगी।


     बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग उत्तर प्रदेश में क्या क्या मिलता है?

 बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग की सेवाएं कुछ मुख्य बिंदुओं पर करता है उसकी भी जानकारी होनी जरुरी है बो कुछ इस प्रकार हैं ।

        1- अनुपूरक पोषाहार - 

इस सेवा में 7 माह से 6 वर्ष तक कुपोषित बच्चे गर्भवती व धात्री महिला और किशोरी बालिकाओं को कुपोषण से दूर करने कुपोषण से बचाने पर काम करता है ।

        2- टीकाकरण - 

बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग 1 वर्ष से के बच्चे व गर्भवती महिलाओं को मुफ्त टीका ।

        3- स्वास्थ्य जाँच 

रोगों के निवारण तथा प्राथमिक उपचार के लिये आंगनवाड़ी कार्यकत्री द्वारा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र एवं स्वास्थ्य विभाग की स्थानीय स्तर पर कार्यरत ए0एन0एम0 से समन्वय कर आवश्यक दवाइयाँ दिलाने की व्यवस्था करती है।

        4- पोषण एवं स्वास्थ्य शिक्षा

आंगनवाड़ी कार्यकत्री द्वारा गृह सम्पर्क के दौरान तथा आंगनवाड़ी केन्द्रों पर महिलाओं को बच्चों के लालन पालन, स्वास्थ्य, सफाई एवं सामान्य बीमारियों के सम्बन्ध में शिक्षित किया जाता है।.

        5-स्कूल पूर्व शिक्षा

03 से 06 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों को स्कूल पूर्व शिक्षा प्रदान की जाती है। यह समेकित बाल विकास परियोजना का महत्वपूर्ण अंग है। बच्चों के प्राथमिक विद्यालय में जाने से पहले आंगनवाड़ी शिक्षा प्रक्रिया का पहला चरण है। इसका उद्येश्य बच्चों की शारीरिक, नैतिक और सामाजिक विकास के साथ ही उनकी भाषा एवं बुद्वि का विकास करना है।

        6-निर्देशन एवं संदर्भ सेवा।

आंगनवाड़ी कार्यकत्री स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की सहायता से क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं को स्वास्थ्य सेवायें हेतु संदर्भित करती हैं।

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       बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग को काम करने का विभागीय ढांचा होता है जो प्रत्येक विभाग में होता है । किसको क्या अधिकार दिया गया है वह अपने अधिकार पर काम करता है जैसा भी करता है । उसी ढांचे में सबसे नीचे आता है आंगनवाड़ी कार्यकर्ता जो लाभार्थी तक उसका लाभ पहुँचाता है । आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के ऊपर होता आंगनवाड़ी सुपरवाइजर जो आंगनवाड़ी कार्यकर्ता तक सीनियर अधिकारी से वितरण करने वाली सामिग्री रिसीव करके पहुँचाता है ।


     एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के पास कितने लाभार्थी हैं?  यह डाटा आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एकत्रित करके बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग तक पहुंचाता है । फिर उसी के अनुसार विभाग से राशन में जो भी सामिग्री है वह अंतिम पड़ाव आंगनवाड़ी कार्यकर्ता तक पंहुचा दी जाती है ।

     अभी कुछ समय पहले इसी क्रम में सेल्फ हेल्प ग्रुप की महिलाओं को सामिल किया था । सेल्फ हेल्प ग्रुप की महिलाओं का रोल ये था बिना मजदूरी के मेहनत करना । सेल्फ हेल्प ग्रुप की महिलायें बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग से राशन सामिग्री प्राप्त करके आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को सौंप देना । बाद में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता लाभार्थी को वितरण करते हैं ।

       आंगनवाड़ी कार्यकर्त्ता जो सामिग्री प्रतिमाह वितरित होनी चाहिए वह 2 महीने का गायब करके 3सरे माह बांटते हैं। दो महीने का आनाज ग्राम पंचायत के राशन डीलर को ही बेच दिया जाता है। सामिग्री के जो भी पैसे होते हैं उनको आंगनवाड़ी सुपरवाइजर और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता मिल बाँट लेते हैं। सरकार खुश है कि हम लोगों को लाभ पहुंचा रहे हैं। पर लोग तो दुखी ही हैं कि हमें कुछ नहीं मिल रहा है।

      सेल्फ हेल्प ग्रुप की महिलाओं को बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग की टीम में सामिल किये जाने में अटकलें आ गयी हैं। अटकलें यह हैं ग्रुप की महिलाओं को बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग द्वारा जानकारी यह दी जाती है, प्रति लाभार्थी को प्रतिमाह इतना लाभ देना है । लेकिन आंगनवाड़ी कार्यकर्ता उस हिसाब से नहीं करती है । सेल्फ हेल्प ग्रुप की महिलाओं ने इस बात का विरोध किया तो जो चोर चोर मोसेरे भाइयों की टोली थी उन्होंने सेल्फ हेल्प ग्रुप की महिलाओं को टीम से बाहर कर दिया ।

      राशन सामिग्री बांटते वक्त आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से कोई यदि सवाल करता है कि आप इतनी कम राशन सामिग्री क्यों दे रही हो तो उनका जबाब होता है लाभार्थी बच्चे, गर्भवती महिलाएं ज्यादा हैं सामिग्री कम आती है उतनी सामिग्री में से बाँटनी सभी को होती है ।

       आंगनवाड़ी सुपरवाइजर का जबाब यह रहता है सामिग्री 60% बच्चों, महिलाओं की आती है लेकिन बाँटनी 100 % को है तो उसी में अर्जेस्ट करना पड़ता है । यह जबाब सिर्फ हमारे क्षेत्र का नहीं है बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश और आपके यहाँ भी कुछ ऐसा ही है । दोनों जबाब के अनुसार मेरा इस बात के लिए समर्थन बिल्कुल भी नहीं है । आप समर्थन कर भी कर रहे हैं तो कैसे कर रहे हैं?  सरकार ने लाभार्थी का बजट बनाया है तो 60 % में किन लोगों का बनाया है? 40% लोग अमीर हो चुके हैं या उनको किसी लाभ की आवश्यकता नहीं है? 


     क्या पूरे उत्तर प्रदेश या भारत में 60% लोग ऐसे हैं जो सरकारी राशन के बल पर जीना सीख रहे हैं । बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग के अनुसार तो सभी गर्भवती महिलाओं, 7 माह से 3 वर्ष तक के बच्चे और 3 वर्ष से 6 वर्ष तक के बच्चों को राशन सामिग्री का प्रावधान है । फिर ये राशन कम और 60% का खेल कहाँ से शुरू हुआ है? अगर 60 % को ही लाभ मिलेगा तो फिर बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग को अपनी वेबसाईट पर यह बात लिख देनी चाहिए "सिर्फ 60% लाभार्थी के लिए मेरे पास बजट है बाकी 40% अपना-अपना देख लें।

          अगर बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग अपनी गाइडलाइन में यह लिख देगा तो फिर कोई भी नेता यह प्रचार कैसे करेगा हमने सभी लाभार्थी को 5 किलो घी पहुँचाया है  ताकि सेहत बन सके 😜😜। राशन सामिग्री प्रतिमाह लाभार्थी को देनी चाहिए फिर भी ऐसा नहीं है कभी कभी तो पूरे महीने का राशन गायब हो जाता है जो लाभार्थी को दिया ही नहीं जाता है । इसकी शिकायत भी आप किससे करोगे दोस आंगनवाड़ी कार्यकर्ता का भी नहीं है । चोरों की टोली में एक किनारे पर बेचारा पड़ा है । अगर आंगनवाड़ी कार्यकर्ता विरोध में सामिल हो रहा है तो नौकरी जा रही है । थोड़ी बहुत बचत उसे भी हो जाती है । जिससे भी शिकायत करोगे बो एक दो दिन दिखावा करेगा की हम इस पर काम कर रहे हैं बाद में फिर वही हाल ।


      बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग के अनुसार लाभार्थी को क्या क्या प्रावधान है ।

     6 वर्ष तक के बच्चों को प्रतिदिन 500 कैलोरी और 14 ग्राम प्रोटीन मिलना चाहिए । अब इतनी कैलोरी और प्रोटीन किस किस खाद्य पदार्थ में होती है बो उपलब्ध होना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को प्रतिदिन 600 कैलोरी व 18 ग्राम प्रोटीन होना चाहिए ।

      लेकिन बाल विभाग सेवा एवं पुष्टाहार विभाग के कार्यकर्ता कुछ लाभार्थी को एक महीने में एक बार 1 किलो चने की दाल और 1 लीटर खाद्य तेल देती है। अब आप ही सोचो एक महीने में 30 दिन होते हैं तो 30*500 = 15000 केलोरी, 30*15 = 450 ग्राम प्रोटीन । इस तरह से समझने पर 1 किलो चने की दाल और एक लीटर खाद्य तेल से 15000 कैलोरी और 450 ग्राम प्रोटीन कैसे प्राप्त किया जा सकता है । और किसी किसी महीने का राशन बिल्कुल मिलता ही नहीं तो 1 किलो चने की दाल और तेल 2 माह में 30000 कैलोरी व 900 ग्राम प्रोटीन कैसे जनरेट करेगा । कभी कभी तो चने की दाल सडी हुयी दी जाती है ।जिसके खाने से 60000 कैलोरी 1800 ग्राम प्रोटीन नस्ट हो जायेगा । यकीन न हो तो वीडिओ देखलो


      यह चने की दाल सरकार ने सड़ा कर नहीं भेजी है। यह दाल असुरक्षित रखी जाती है इसलिए ख़राब है। जो भी बाल पुष्टाहार विभाग में शामिल हैं वह अपने खाने के लिए अच्छे पैकेट पहले ही ले लेते हैं। बाद में गरीबों में बाँटने के लिए छोड़ दिए जाते हैं। बो चाहे सढ़ें या गलें क्या फर्क पड़ता है किसी पर। अधिकारियों के बच्चे यह फ्री का भोजन खाते नहीं है वह ब्रांडेड खाना प्रयोग करते हैं।


आंगनवाड़ी भर्ती प्रक्रिया -

     आंगनवाड़ी की भर्ती जब भी होती है तो उसके लिए ऑनलाइन आवेदन मांगे जाते हैं। आंगनवाड़ी की जब भी भर्ती होगी उसके लिए आपको कहीं भागने की जरुरत नहीं है। आप उत्तर प्रदेश या जिस प्रदेश में भी रहते हैं वहां की एक आधिकारिक वैबसाइट होती है। आप उससे ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

    आंगनवाड़ी भर्ती के लिए ऑनलाइन आवेदन करने से पहले कुछ बातों का ध्यान अवश्य रखें। जिसमें सबसे पहली इस बात का ध्यान रखें। जब भी आंगनवाड़ी भर्ती के लिए ऑनलाइन आवेदन मांगे जायेंगे उससे पहले आपके पास कुछ रिश्वत और भर्ती प्रक्रिया पूरी करने वाले दलाल या अधिकारी से सम्पर्क होना चाहिए। अगर आपका सम्पर्क किसी अधिकारी से या दलाल से नहीं है तो आपका आवेदन निरस्त कर दिया जायेगा। क्योंकि भारत में बिना पैसे और जुगाड़ के अधिकतम भर्ती प्रक्रिया पूरी नहीं होती है।


    आपका आंगनवाड़ी भर्ती प्रक्रिया का आवेदन बिना रिश्वत और जुगाड़ के स्वीकार हो भी गया है तो आप बहुत ही भाग्यशाली हैं। आपने नौकरी ज्वाइन कर ली है फिर क्या कुछ दिन बाद ऐसे ही आपको कमाई करनी है जिस तरह से इस पोस्ट में बताया है। क्योंकि ईमानदारी से आप अपने बड़े सपने को पूरा ही नहीं कर सकते हैं।


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